sanskrit counting || sanskrit counting 1 to 100 || संस्कृत संख्या १-१०० || Sanskrit Shlok
संस्कृत संख्या (अङ्कानि ) म्हणजे संस्कृत मधील अंक कसे वाचायचे हा बऱ्याच संस्कृत अभ्यासकाला प्रश्न पडतो. शाळेतील विद्यार्थ्यांना पण हा प्रश्न पडतो म्हणून आपल्याला संस्कृत संख्या एक ते शंभर पर्यंत चे अंक दिले आहेत. तसेच एक या अंकावर एक ते पंधरा शून्य पर्यंत वाढत गेल्यास त्या संख्या कशा वाचायच्या हे सदरील संस्कृत संख्या या भागात दिले आहे.
Table of Contents
Sanskrit Counting – 1 To 30 – संस्कृत संख्या १-30
इंग्रजी मराठी संख्या | संस्कृत संख्या |
1 | एकम् |
2 | द्वे |
3 | त्रिणि |
4 | चत्वारि |
5 | पञ्च |
6 | षट् |
7 | सप्त |
8 | अष्ट |
9 | नव |
10 | दश |
11 | एकादश |
12 | द्वादश |
13 | त्रयोदश |
14 | चतुरदश |
15 | पञ्चदश |
16 | षोडश |
17 | सप्तदश |
18 | अष्टादश |
19 | नवदश |
20 | विंशति |
21 | एकविंशति: |
22 | द्वाविंशति: |
23 | त्रयोविंशति: |
24 | चतुर्विंशति: |
25 | पञ्चविंशति: |
26 | षड्विंशति: |
27 | सप्तविंशति: |
28 | अष्टाविंशति: |
29 | नवविंशति: |
30 | त्रिंशत् |
Sanskrit Counting -31 To 60 – संस्कृत संख्या 31-60
इंग्रजी मराठी संख्या | संस्कृत संख्या |
31 | एकत्रिंशत् |
32 | द्वेद्वात्रिंशत् |
33 | त्रयस्त्रिंशत् |
34 | चतुस्त्रिंशत् |
35 | पञ्च पञ्चत्रिंशत् |
36 | षट्षट्त्रिंशत् |
37 | ससप्तत्रिंशत् |
38 | अष्टात्रिंशत् |
39 | नवनवत्रिंशत् |
40 | दचत्वारिंशत् |
41 | एकचत्वारिंशत् |
42 | द्वा द्विचत्वारिंशत् |
43 | त्रिचत्वारिंशत् |
44 | चतुश्चत्वारिंशत् |
45 | पञ्चचत्वारिंशत् |
46 | षट्चत्वारिंशत् |
47 | सप्तचत्वारिंशत् |
48 | अष्टचत्वारिंशत् |
49 | नवचत्वारिंशत् |
50 | पच्चाशत् |
51 | एकपञ्चाशत् |
52 | द्विपञ्चाशत् |
53 | त्रिपञ्चाशत् |
54 | चतुष्पञ्चाशत् |
55 | पञ्चपञ्चाशत् |
56 | षट्पञ्चाशत् |
57 | सप्तपञ्चाशत् |
58 | अष्टपञ्चाशत् |
59 | नवपञ्चाशत् |
60 | षष्टि: |
Sanskrit Counting -61 To 90 – संस्कृत संख्या 61-90
इंग्रजी मराठी संख्या | संस्कृत संख्या |
61 | एकषष्टि: |
62 | द्विषष्टि: |
63 | त्रिषष्टि: |
64 | चतु:षष्टि: |
65 | पञ्चषष्टि: |
66 | षट्षष्टि: |
67 | सप्तषष्टि: |
68 | अष्टषष्टि: |
69 | नवषष्टि: |
70 | सप्तति: |
71 | एकसप्तति: |
72 | द्विसप्तति: |
73 | त्रिसप्तति: |
74 | चतुस्सप्तति: |
75 | पञ्चसप्तति: |
76 | षट्सप्तति: |
77 | सप्तसप्तति: |
78 | अष्टसप्तति: |
79 | नवसप्तति: |
80 | अशीति: |
81 | एकाशीति: |
82 | द्व्यशीति: |
83 | त्र्यशीति: |
84 | चतुरशीति: |
85 | पञ्चाशीति: |
86 | षडशीति: |
87 | सप्ताशीति: |
88 | अष्टाशीशीति: |
89 | नवाशीति: |
90 | नवति: |
Sanskrit Counting -91 To 100 – संस्कृत संख्या 91- 100
इंग्रजी मराठी संख्या | संस्कृत संख्या |
91 | एकनवति: |
92 | द्विनवति: |
93 | त्रिनवति: |
94 | चतुर्नवति: |
95 | पञ्चनवति: |
96 | षण्णवति: |
97 | सप्तनवति: |
98 | अष्टनवति: |
99 | नवनवति: |
100 | शतम् |
Sanskrit Counting – एकम् ते दशवृद्ध्या , संस्कृत श्लोकामध्ये
एकं दश शतं चैव सहस्रमयुं तथा|
लक्षं च नियुतं चैव कोटीरर्बुधमेव च ||
वृन्दं खर्वो निखर्वश्च शङ्ख: पद्मश्च सागर |
अन्त्यं मध्यं परार्धं च दशवृद्ध्या यथाक्रमम् |
सदरील संस्कृत श्लोकामध्ये संस्कृत मध्ये एक हा अंक त्यावर एक एक शून्य वाढत गेल्यानंतर कसा वाचता येईल हे सदरील संस्कृत श्लोका मध्ये सांगितले आहे.
संस्कृत | मराठी | संख्या अंक |
एकम् | एक | 1 |
दश | दहा | 10 |
शतम् | शंभर | 100 |
सहस्रम् | एक हजार | 1000 |
अयुतम् | दहा हजार | 10000 |
लक्षम् | एक लक्ष | 100000 |
नियुतम् | दहा लक्ष | 1000000 |
कोटी | एक कोटी | 10000000 |
अर्बुद | दहा कोटी | 100000000 |
वृंद | एक अब्ज | 1000000000 |
खर्व | दहा अब्ज | 10000000000 |
निखर्व | शंभर अब्ज | 100000000000 |
पद्म | 1000000000000 | |
सागर | 10000000000000 | |
अन्त्यम् | 100000000000000 | |
मध्यम् | 1000000000000000 | |
परार्ध | 10000000000000000 | |
दशवृद्ध्या | 100000000000000000 |
Sanskrit Counting – संस्कृत श्लोकामध्ये संख्येचा वापर
संस्कृत शिकत असताना अनेक संस्कृत श्लोकामध्ये आपल्याला संख्येचा वापर केलेला दिसतो. त्या संख्येचा नेमका अर्थ काय होतो ते अनेक वेळा समजत नाही. पुढे काही संस्कृत अंकाचा वापर केलेली उदाहरणात दिलेले आहेत.
शतेषु जायते शुरा: सहस्रेशषु च पंडिता |
वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा||
शंभर मानवामध्ये एखादा शूर निघतो. हजार मानव तपासले असता एखादा पंडित निघतो. दहा हजार लोकांमध्ये एखादाच वक्ता निघतो आणि दाता मात्र क्वचितच असतो. या श्लोकात संख्येचा वापर केला आहे.
ते शत हि वयं पञ्च स्वकीये विग्रहे सति |
परैस्तु विग्रहे प्राप्ते वयं पञ्चाधिक शतम् ||
सदरील संस्कृत श्लोक महाभारतातील वर्णन करतो. या श्लोकांमध्ये युधिष्ठिर म्हणजे पांडवांचा मोठा भाऊ आपल्या चारी भावांना युद्ध परिस्थिती समजावून सांगत आहे. या संस्कृत श्लोकामध्ये संख्येचा वापर केलेला आहे. युधिष्ठिर म्हणतो ‘आपले आणि कौरवाचे आपसात भांडण असेल तर ते शंभर आहेत आणि आपण पाच जण आहोत; परंतु आपल्या भावाच्या या भांडणाचा फायदा जर दुसरा कोणी व्यक्ती घेत असेल तर आपण त्याच्या विरोधात कौरव शंभर आणि आपण पाच असे 105 जण असुत. आपण आपल्या दोघांच्या भांडणाचा लाभ तिसऱ्याला घेऊ द्यायचा नाही.
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